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धर्मशाला, हिमशिखा न्यूज़ 

हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री व कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से सांसद रहे शांता कुमार पत्नी लेखिका, अध्यापिका व साहित्यकार संतोष शैलजा के गुजर जाने से बेहद दुखी हैं। पत्नी के गुजर जाने के बाद पहली बार शांता कुमार ने फोर्टिस अस्पताल चंडीगढ़ से अपना रिकॉर्डिड संदेश दिया है। उन्होंने अपने संदेश मे कहा मेरी पत्नी संतोष पचास साल का साथ छोड़कर चली गई। मैं अौर मेरा बेटा अस्वस्थ होकर चंडीगढ़ फोर्टिस में अा गए। धर जी का फोन अाया साहित्य अकादमी का कार्यक्रम है कुछ शब्द बोलिये, मैंने कहा कुछ बोलूंगा, तभी संदेश अाया है मेरी बहु व दोनों पोतियां अस्वस्थ हैं। यहीं पर लाई जा रही हैं।

मैने कहा धरती अब हिल गया हूं अब कुछ नहीं कहूंगा, कुछ नहीं कहूंगा।रात को बच्चे यहां पहुंचे। प्यारे बच्चे हिम्मत वाले बच्चे। खाना खाया सो गया। मैंने देखा मेरी पोती गरिमा मुस्कुराते हुए अाई, मैं बनाउंगी अापकी वीडियो अौर इतिहास बनाकर देखा। उठा हाथ जोड़े प्रभु के धन्यवाद किया, अपनी पोती की हिम्मत की वजह से अभी अाज मैं अापके सामने हूं।लंबी सांस लेते हुए प्यार का समर्पण का पचास साल का संबंध, प्यार व समर्पण ही नहीं मेरे जीवन के हर कदम पर डटे रहने का संबंध अाज समाप्त हो गया। कैसे बनाऊं। याद अा रहा है 1990 में दूसरी बार मुख्यमंत्री, तीन जगह से जीता, बहुत दबाव था सबका, पत्नी को भेजो, पत्नी को भेजो लोकसभा, भेजो विधानसभा, क्योंकि दो जगह मुझे त्याग पत्र देना था। उस वक्‍त मैं सर्वे सर्वा था जो चाहता हो जाता।

14 दिन में त्याग पत्र देना था। अंतिम दिन बच्चों को बैठाया। मैंने कहा एक समस्या है मेरी, इससे पहले कोई कुछ बोलता अांखे लाल कर संतोष बोली अापको दूसरी बार भगवान ने मुख्यमंत्री बना दिया अब कुछ नहीं चाहिए। …अांखे पोछते हुए। एेसी बहादुर थी मेरी संतोष। करता मैं भी वही, लेकिन परिवार चुनाव के लिए तैयार हो जाता तो मैं टूट जाता। डाॅक्टर शिव कुमार को विधानसभा में भेजा, मेजर को लोकसभा में भेजा।अापातकाल में नाहन जेल में बीमार हो गया। चेकअप करवाया। दूसरे दिन जेल जाना था। एक मित्र अाए उन्होंने कहा कांग्रेस नेता का बयान पढ़ा। उन्हें छोड़ नहीं सकते। कुछ लिख दिजिए डाक्टर को कहकर छुड़वा देते हैं। कल्पना करिए जेल का कैदी कभी अाना नहीं अाना अांखे लाल करके संतोष बोली कुछ नहीं लिखना।

मैं परिवार को संभालूंगी। एेसी बहादुर थी बहुत मुश्किल है भूलना बहुत मुश्किल है भूलना।लेकिन फिर सोचता हूं, मृत्यु जीवन का अंत नहीं है। जीवन तो साश्वत चलता रहता है। मृत्यु जीवन की पूर्णता है, जब यह सोचता हूं संतोष पूरा जीवन जीकर गई 83 वर्ष जीवन के पूरे किए। मेरे साथ कदम से कमद मिलाकर खड़ी रही। सच कहता हूं मेरे जीवन में संतोष न होती तो देश व प्रदेश की सेवा नहीं कर पाता। मेरे पूरा जीवन लिखवाकर गई। एक साल कठिन परिश्रम, अात्मकथा पूरी करवाई। शीर्षक कहो, दस शीर्षक चुने टिका नहीं। संतोष ने बड़ी बेटी इंदू से सलाह की। मेरी ही कविता की एक पंक्ति पुस्तक को शीर्षक दिया। पुस्तक पूरी हो गई। पहले पृष्ठ पर समर्पण है मां को एक अौर पृष्ठ पर समर्पण होगा संतोष को।

अब टांडा अस्पताल में विदा की अंतिम घड़ी अाई, मैं अौर बेटा संतोष के सामने खड़ा था।83 वर्ष के जीवन की थकावट नहीं थी। जीवन की पूर्णता का अाश्वासन था उसके चेहरे पर। मुझे लगा संतोष मुझे कुछ कह रही है। मुझे लगा मैं सुन रहा हूं, उसने कहा कवि की तुम्हारे होंठ भी थे बंद, अौर मै भी चुप था फिर वो क्या था जो इतनी देर बोलता रहा। रोते हुए, वो प्यार का अहसास था यह अहसास है रूह का।अोसो जी ने कहा है मौन के भी शब्द होते हैं अौर सन्नाटे का भी संगीत होता है। सुना बहुत देर सुना उसके बाद मैं अौर मेरा बेटा अागे बढ़े मैंने संतोष के मात्‍थे पर हाथ रखा कोई प्यार का अहसास, जीवन की पूर्णता का अाश्वासन बहुत देर देखा चेहरा, हाथ जोड़े हे प्रभु तेरी इच्छा स्वीकार है, हे प्रभु तेरी इच्छा स्वीकार है।

संतोष के मात्‍थे पर हाथ रखा। संतोष…. रोते हुए तुम जाओ अंतिम यात्रा पर निश्चिंत होकर जाओ, जीवन कार्य पूरा करके जा रहे हो, भरा पूरा परिवार बसा कर जा रही हो। इस बार भगवान ने तुम्हें जो कार्य दिया उसे पूरा कर दिया शांति से जाओ। मैं अपनी अौर से बच्चों की अौर से संबंधियों अोर मित्रियों की अोर से भरोसा दिलवाता हूं तेरे प्यार की याद में हिम्मत से जीएंगे। अाज संतोष चली गई।मेरा पूरा परिवार यहां फोर्टिस में डाक्टर कर्मचारी बहुत प्यार कर रहे हैं। डाक्टर महान हैं। इलाज बढ़िया है, बेटा बेटियां एटेंडेट, मैं स्वस्थ हूं, सब प्रकार का इलाज होगा। भगवान करे इसी किस्म के अस्पताल हर जगह हो, मित्रों मुझे अपना प्यार देते रहना।

मैंने हिम्मत से जीने का निर्णय लिया है। प्यार अाप देंगे हिम्मत प्रभु देगा। अाप सभी स्वस्थ रहना। अाप सभी सब नियमों का पालन करना। हिमाचल सरकार जयराम ठाकुर का अाभारी हूं, भारत सरकार का अाभारी हूं। प्रधानमंत्री ने फोन किया है, नड्डा ने फोन किया है। हे प्रभु पूरे विश्व को इस त्रासदी से मुक्‍ति दो। साहित्य अकादमी, धरती व अपनी पोती गरिमा का अाभारी हूं। अाज हिम्मत जुटाकर मेरी पोती गरिमा ने हिमचाल साहित्य कला अकादमी के एक कार्यक्रम के लिए मेरी रिकाॅर्डिंग तैयार की थी। मैं अाभारी हूं। अापको सबको मेरा प्रणाम अोम शांति शांति शांति।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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