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सोलन,हिमशिखा न्यूज़ 

हिमाचल प्रदेश के बागवानो को आने बाले दिनो में अब किया करना है इस बारे में बागवानी विशेषज्ञो ने सलाह दी है| पिछले चार महीने के बाद नवंबर में हुई बारिश और बर्फबारी लाेगाें के लिए राहत लेकर आई है। अब बागीचाें में कुछ बागवान जहां ताैलिए (चाराें तरफ खुदाई) करने शुरू कर दिए है, वहीं पाैधे की काट-छांग (प्रूनिंग) भी करने लग गए हैं। जबकि बागवानी विशेषज्ञ इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बता रहे हैं।उन्हाेंने सलाह दी है कि जल्दबाजी में बागवान न ताे प्रूनिंग करें और न ही ताैलिए करवाएं। क्याेंकि, अभी पर्याप्त मात्रा में नमी नहीं आई है। ऐसे में पाैधे में जख्म पड़ सकता है। जिससे वूली एफिड और अन्य तरह की बीमारियां बागीचाें में लग सकती है। बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश के कई इलाकों में बागवानों ने नवंबर में ही पाैधे की काट-छांट करने का काम शुरू कर दिया है।

जल्दबाजी में पाैधे की काट-छांट करने से कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए प्रूनिंग के लिए उचित समय की इंतजार करें। नवंबर में प्रूनिंग करने से सबसे बड़ी समस्या यही होती है कि पाैधा सुप्तावस्था में रहते हैं।ऐसी स्थिति में कटिंग करने से सेब के पेड़ों पर बीमारियां पनपने की आशंका बनी रहती है। जनवरी, फरवरी में पेड़ों की काटछांट करने से पेड़ों पर कैंकर और वूली एफिड की समस्या भी नहीं रहती और पेड़ भी सुरक्षित रहते हैं।

सेब के तनों में चूने का लेप लगाने का सही समय
ज्यादातर बागवान मार्च के महीनों में पाैधे के तने में चूने का लेप लगाने का काम करते है। मार्च के महीने में तनों में चूूने का लेप लगाने से ज्यादा फायदा नहीं होता है। बागवानी विशेषज्ञ का कहना है कि पतझड़ के मौसम में सूरज की किरणें सीधी पौधों के तनों पर पड़ती है, जिससे तनों की चमड़ी फट जाती है।ऐसे में चूने के लेप से चमड़ी को फटने से बचाना बहुत जरूरी है। चमड़ी के फटने से पेड़ों में कैंकर, वूली, एफिड, जैसी बीमारियां पनप जाती है। उन्होंने बताया कि इस महीने के अंत तक बागवानों को लेप लगाने की प्रक्रिया को पूरा कर लेना चाहिए।

ऐसे लगाया जा सकता है लेप
9 किलो चूना, 1 किलो नीला थोथा, एक लीटर अलसी का तेल या 750 एमएल एचएमओ ऑयल को मिलाकर बागवान लेप तैयार कर सकते हैं। लेप बनाते समय अलसी के तेल को हल्का गर्म कर लेना चाहिए। इससे लेप की पकड़ अच्छी रहती है।सेब के तनों में चूने का लेप लगाने का सही समय ज्यादातर बागवान मार्च के महीनों में पाैधे के तने में चूने का लेप लगाने का काम करते है। मार्च के महीने में तनों में चूूने का लेप लगाने से ज्यादा फायदा नहीं होता है। बागवानी विशेषज्ञ का कहना है कि पतझड़ के मौसम में सूरज की किरणें सीधी पौधों के तनों पर पड़ती है, जिससे तनों की चमड़ी फट जाती है। ऐसे में चूने के लेप से चमड़ी को फटने से बचाना बहुत जरूरी है।

चमड़ी के फटने से पेड़ों में कैंकर, वूली, एफिड, जैसी बीमारियां पनप जाती है। उन्होंने बताया कि इस महीने के अंत तक बागवानों को लेप लगाने की प्रक्रिया को पूरा कर लेना चाहिए। एेसे लगाया जा सकता है लेप 9 किलो चूना, 1 किलो नीला थोथा, एक लीटर अलसी का तेल या 750 एमएल एचएमओ ऑयल को मिलाकर बागवान लेप तैयार कर सकते हैं। लेप बनाते समय अलसी के तेल को हल्का गर्म कर लेना चाहिए। इससे लेप की पकड़ अच्छी रहती है।

By HIMSHIKHA NEWS

हिमशिखा न्यूज़  सच्च के साथ 

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